chathpuja, Image Credit by Bihattoursim.com
Chath Puja 2024: Chath Puja महापर्व षष्ठी तिथि 7 नवंबर 2024 को मनाया जाने वाला पर्व है जो बेहद कठिन है। यह पर्व नियम संयम और तपस्या का पर्व है। जो चार दिनों तक चलता है। लेकिन इसकी तैयारी हफ्ते पहले से ही शुरू हो जाती है। आपको बता दें कि, छठ पर्व मूल रूप से बिहार और पूर्वांचल से शुरू हुआ माना जाता है। लेकिन अब यह भारत के अलग अलग राज्यों में और विदेशों में भी मनाया जाने लगा है और बिहार और पूर्वांचलवासी ही नहीं बहुत से क्षेत्रों में रहन वाले लोग भी अब छठ पर्व के प्रति आस्थावान या अक़ीदा होने लगा है। जिससे छठ व्रत बहुत से लोग करने लगे हैं।
छठ के बारे में शुरू करने जा रहे है कि यह ब्रह्माजी की मानस पुत्री हैं और सूर्यदेव की बहन हैं। छठ को संतान की रक्षा करने वाली और संतान सुख देने वाली देवी के रूप में शास्त्रों में बताया गया है जबकि सूर्यदेव अन्न और संपन्नता के देवता है। इसलिए जब रवि और खरीफ की फसल कटकर आ जाती है तो छठ का पर्व सूर्य देव का आभार प्रकट करने के लिए चैत्र और कार्तिक के महीने में किया जाता है।
छठ पर्व मुख्य रूप कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को मनाते हैं। लेकिन इसके अलावा चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि का छठ पर्व जिसे चैती छठ कहते हैं। यह भी काफी प्रचलित है। इस तरह दो छठ व्रत विशेष रूप से महत्व है। दोनों ही छठ पर्व भगवान सूर्य को और षष्ठी माता को समर्पित है। इसलिए छठ पर्व में भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और छठ मैया की पूजा कथा की जाती है। खास करके छठ पर्वे बिहार और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है।
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छठ पूजा को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। क्योंकि इस दौरान भक्तोँ को कठोर नियमों का पालन करना पड़ता है। यह व्रत परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की लम्बे उम्र और बीमारी से मुक्त जीवन के लिए किया जाता है। इस त्योहार के दौरान सूर्य की आराधना से हमें ऊर्जा और शक्ति मिलती है। जो जीवन में सकारात्मकता का संचार करती है।
5 नवंबर 2024 नहाय खाय: छठ पूजा के पहले दिन, अक़ीदत मंद नदी या तालाब में नहाते हैं और केवल शुद्ध और सात्विक भोजन खाते हैं।
6 नवंबर 2024 खरना: दूसरे दिन व्रत दिन भर बिना पानी के उपवास रखते हैं। शाम को पूजा के बाद प्रसाद के रूप में खीर, रोटी और फल खाया जाता हैं।
7 नवंबर 2024 पहला आरख: तीसरे दिन, व्रती सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे जाकर सूर्य देव को को प्रणाम कर के अर्द्ध चढ़ा देते हैं। यह छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
8 नवंबर 2024 दूसरा आरख: चौथे दिन उगते हुए सूर्य को नमस्कार किया जाता है। जिसके बाद व्रती अपना व्रत तोड़ते हैं और प्रसाद बाटना शुरू किया जाता हैं।
छठ पूजा के दौरान प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, चावल के लड्डू, फलों और नारियल का इस्तेमाल किया जाता है। ये सभी प्रसाद शुद्ध सामान से बनाए जाते हैं और सूर्य देवता को चढ़ाया जाता है।
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