Election Commission of India की भूमिका किया है। यहाँ पर जानते है।

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Election Commission of India का काम भारत में चुनावों का आयोजन कराना है। चुनाव आयोग भारत की संवैधानिक संस्थान है, जिसकी स्थापन 25 जनवरी, 1950 को की गई थी।

भारत निर्वाचन आयोग, जिसे चुनाव आयोग के नाम से भी जाना जाता है, एक स्वायत्त संवैधानिक निकाय है। जो भारत में संघ और राज्य चुनाव प्रक्रियाओं का संचालन करता है। यह हमारे देश में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव का संचालन करता है।

भारतीय संविधान का भाग 15 चुनावों से संबंधित है क्युकी जिसमें चुनावों के संचालन के लिये एक आयोग की स्थापना करने की बात बोली गई है।

संविधान के अनुच्छेद 324 से 329 तक चुनाव आयोग और सदस्यों की ताकत, काम, कार्यकाल, पात्रता आदि से संबंधित होता हैं।

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निर्वाचन आयोग क्यों बनाया

निर्वाचन आयोग का सचिवालय नई दिल्ली में है। केवल एक चुनाव आयुक्त का प्रावधान था, लेकिन राष्ट्रपति की एक अधिसूचना के तहत 16 अक्तूबर, 1989 को इसे तीन सदस्य बना दिया गया था।

इसके बाद कुछ समय के लिये इसे एक सदस्य आयोग बना दिया गया और 1 अक्तूबर, 1993 को इसका तीन सदस्य आयोग वाला स्वरूप फिर से बहाल कर दिया गया था। तब से निर्वाचन आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त किया जाता हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी IAS रैंक का अधिकारी होता है। जिसकी राष्ट्रपति के द्वारा लिया जाता है। तथा चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति भी राष्ट्रपति के द्वारा ही होता है। इनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की उम्र ( दोनों में से जो भी पहले हो) तक होता है। इन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों(ज़ज़) के समकक्ष दर्जा प्राप्त होता है और समान सैलरी और भत्ते मिलता हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा High Coute के न्यायाधीश(ज़ज़) को हटाने की प्रक्रिया के समान ही पद से हटाया जा सकता है।

भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) का महानता

यह वर्ष 1952 से राष्ट्रीय और राज्य स्तर के चुनावों का सफलतापूर्वक संचालन कर रहा है। मतदान में लोगों की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये सक्रिय भूमिका निभाता है। राजनीतिक दलों को अनुशासित करने के लिए काम करता है। संविधान में निहित मूल्यों को मानता है। अर्थात चुनाव में समानता, निष्पक्षता, स्वतंत्रता स्थापितके लिए किया जाता है। विश्वसनीयता, निष्पक्षता, पारदर्शिता, अखंडता, जवाबदेही, स्वायत्तता और कुशलता के ऊपरी दर्ज़ा के साथ चुनाव शुरू किया जाता है। मतदाता-केंद्रित और मतदाता-अनुकूल वातावरण की चुनावी प्रक्रिया में सभी पात्र लोगो की भागीदारी सुनिश्चित करता है। चुनावी प्रक्रिया में राजनीतिक दलों और सभी हितधारकों के साथ मिलाब रहता है। हितधारकों, मतदाताओं, राजनीतिक दलों, चुनाव अधिकारियों, उम्मीदवारों के बीच चुनावी प्रक्रिया और चुनावी शासन के बारे में जागरूकता पैदा किया जाता है तथा देश की चुनाव प्रणाली के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ाने और उसे मज़बूती प्रदान करने का कार्य किया जाता है।

लोगों को 18 वर्ष कि आयु में वोटिंग का अधिकार मिल जाता है। हालाँकि 18 वर्ष की आयु के बाद भी कई लोग मतदाता सूची से बाहर ही रह जाते हैं और सेवा मतदाता वो हैं। जो हतियार बलों में सेवा के लिए रहते हैं। या इसके बाहर राज्य के हतियार के साथ पुलिस बल में सेवा में रहते हैं। या भारत के बाहर तैनात सरकारी कर्मचारी हैं।

Election Commission of India को ले कर सबसे बड़ी खराबी मणि जाती है। जो की EVM में खराबी, हैक होने और वोट दर्ज न होने जैसे आरोपों से भी निर्वाचन आयोग के प्रति आम जनता के भरोसा में कमी होती जाती है।

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