क्रिकेट भारत प्रतीका रावल में सिर्फ एक खेल नहीं बल्कि जुनून है। ऐसे देश में जहां क्रिकेटरों को भगवान की तरह पूजा जाता है। प्रतीका रावल का सपना भारतीय टीम के लिए खेलने का होता है। इन्हीं सपनों को साकार करने की ओर बढ़ रही हैं। एक उभरती हुई क्रिकेटर प्रतीका रावल।
प्रतीका रावल का जन्म राजस्थान के एक छोटे से शहर में हुआ। बचपन से ही उन्हें खेलों में रुचि थी, लेकिन क्रिकेट के प्रति उनका लगाव अलग ही स्तर पर था। गली क्रिकेट से शुरू हुआ यह सफर जल्द ही एक बड़े मंच तक पहुंचने लगा। उनके परिवार ने भी उनके सपनों का समर्थन किया और उन्हें अपने खेल को बेहतर बनाने के लिए हरसंभव साधन उपलब्ध कराया।
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प्रतीका ने अपनी क्रिकेट यात्रा की शुरुआत स्कूल और जिला स्तर के टूर्नामेंट से की। उनकी शानदार बल्लेबाजी और बेहतरीन गेंदबाजी ने जल्द ही चयनकर्ताओं का ध्यान खींचा। वह राज्य स्तर की अंडर-19 टीम में चुनी गईं और वहां भी उन्होंने अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया।
प्रतीका रावल ने भारत के लिए अभी तक सिर्फ 6 वनडे मैच खेले हैं। इन सभी में उन्होंने स्मृति मंधाना के साथ ओपनिंग की जिसमें 2 शतकीय साझेदारी। पिछले छह मुकाबलों में प्रतीका रावल ने अपने शानदार प्रदर्शन से सभी का ध्यान खींचा है। उन्होंने इन मैचों में क्रमशः 110, 110, 22, 70, 156, और 233 रनों की पारियां खेली हैं। उनकी बल्लेबाजी की विशेष बात यह रही है। कि उन्होंने अपनी पारी को परिस्थितियों के अनुसार ढाला और टीम के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इस दौरान उनका मंधाना के साथ किया गया साझेदारी का खेल भी उल्लेखनीय रहा। दोनों खिलाड़ियों ने मिलकर टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचाने के लिए कई यादगार साझेदारियां निभाईं। एक मुकाबले में जहां प्रतीका ने 150 रन बनाए। वहीं दो मैचों में उनके बल्ले से शानदार शतक निकले। उनकी यह फॉर्म उन्हें भारतीय क्रिकेट में एक उभरता हुआ सितारा साबित करती है। वहीं इस दौरान वो खुद 60 से ज्यादा की औसत से 444 रन ठोक चुकी हैं। जिसमें 3 अर्धशतक और 1 शतक शामिल है। आयरलैंड के खिलाफ मौजूदा सीरीज में वो 310 रन बना चुकी हैं।
प्रतीका रावल एक ऑलराउंडर हैं। जो अपनी बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों से खेल का रुख बदलने की क्षमता रखती हैं। वह अपनी आक्रामक बल्लेबाजी शैली के लिए जानी जाती हैं और संकट के समय टीम को स्थिरता प्रदान करती हैं। उनकी गेंदबाजी भी उतनी ही प्रभावशाली है। खासतौर पर स्पिन गेंदबाजी में उनका कोई सानी नहीं।
प्रतीका का कहना है कि उन्हें भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान मिताली राज से प्रेरणा मिलती है। मिताली की तरह ही प्रतीका भी भारतीय क्रिकेट में अपनी अलग पहचान बनाना चाहती हैं।
प्रतीका का सफर आसान नहीं रहा। उन्हें कई बार संसाधनों की कमी और सामाजिक रूढ़ियों का सामना करना पड़ा। लेकिन उनकी मेहनत लगन और परिवार के समर्थन ने उन्हें हर चुनौती को पार करने की ताकत दी। आज वह घरेलू क्रिकेट में एक प्रमुख नाम बन चुकी हैं और जल्द ही राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने की तैयारी कर रही हैं।
प्रतीका रावल भारतीय महिला क्रिकेट के भविष्य के लिए एक बड़ी उम्मीद हैं। उनकी मेहनत और समर्पण यह साबित करता है कि वह आने वाले समय में देश का नाम रोशन करेंगी।
क्रिकेट में अपनी पहचान बनाना आसान नहीं होता, खासतौर पर जब आप एक छोटे शहर से आते हैं। प्रतीका रावल की कहानी न केवल एक खिलाड़ी के संघर्ष की है, बल्कि उन तमाम युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है जो अपनी पहचान बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
जब प्रतीका ने क्रिकेट को अपने करियर के रूप में चुनने का निर्णय लिया। तो उन्हें समाज से कई सवालों और आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। एक लड़की होकर क्रिकेट खेलना खासकर ग्रामीण पृष्ठभूमि से आकर उनके लिए आसान नहीं था। लेकिन प्रतीका ने इन सभी मुश्किलों को अपनी ताकत बनाया।
उनका मानना है कि समाज की धारणा बदलने का एकमात्र तरीका है। अपनी सफलता से जवाब देना। उनकी मेहनत और लगातार अच्छे प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया। कि क्रिकेट केवल पुरुषों का खेल नहीं है। बल्कि महिलाएं भी इसमें उत्कृष्टता हासिल कर सकती हैं।
प्रतीका की सफलता में उनके कोच का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने न केवल तकनीकी रूप से प्रतीका को प्रशिक्षित किया, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बनाया। कठिन समय में उनके कोच ने उन्हें प्रेरित किया और सिखाया कि असफलताओं से सीखकर ही आप सफलता की ओर बढ़ सकते हैं।
प्रतीका ने घरेलू क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ी है। उन्होंने कई महत्वपूर्ण मैचों में अपनी टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उनकी बल्लेबाजी की निरंतरता और गेंदबाजी की सटीकता ने उन्हें एक भरोसेमंद खिलाड़ी बना दिया है।
प्रतीका रावल उन सभी युवाओं के लिए एक मिसाल हैं। जो बड़े सपने देखते हैं। लेकिन संसाधनों और समर्थन की कमी के कारण अपने कदम पीछे खींच लेते हैं। उनकी कहानी यह साबित करती है। कि अगर आपका लक्ष्य स्पष्ट है और आप मेहनत करने के लिए तैयार हैं। तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती।
प्रतीका केवल एक खिलाड़ी नहीं हैं। बल्कि वह समाज में बदलाव की प्रतीक भी हैं। उनकी कहानी न केवल क्रिकेट के क्षेत्र में लड़कियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। बल्कि यह संदेश भी देती है। कि समाज की पुरानी धारणाओं को बदलने का समय आ गया है।
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