Donald Trump, Gaza पर कब्जा करने की कोई आधिकारिक योजना या साजिश की घोषणा नहीं की है। फिर भी उन्होंने हमेशा इजरायल के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया है। खासकर इजरायल और फिलिस्तीन के मुद्दे पर।
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इजरायल समर्थक रुख ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल (2017-2021) के दौरान कई ऐसे निर्णय लिए जो इजरायल के पक्ष में थे। जैसे यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देना और अमेरिकी दूतावास को वहां स्थानांतरित करना।
फिलिस्तीनी शासकों से दूरी –: ट्रंप प्रशासन ने फिलिस्तीनी नेतृत्व के साथ बातचीत को कम कर दिया और गाजा तथा वेस्ट बैंक को दी जाने वाली आर्थिक सहायता में कटौती की।
अक्टूबर 2023 के हमलों के बाद बयान –: हाल ही में, इजरायल-हमास युद्ध के दौरान ट्रंप ने इजरायल को पूरा समर्थन दिया और हमास के खिलाफ कड़े सैन्य कदमों का समर्थन किया।
डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति हमेशा अमेरिका के रणनीतिक सहयोगियों के समर्थन पर केंद्रित रही है और इजरायल उनमें से एक प्रमुख देश है। हालांकि उन्होंने गाजा पर कब्जे की कोई स्पष्ट योजना नहीं बताई है। लेकिन उनके पिछले बयान और नीतियां यह संकेत देती हैं। कि वे इस क्षेत्र में इजरायल को पूरी ताकत से समर्थन देने के पक्ष में हैं।
ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान “अब्राहम समझौते” (Abraham Accords) को बढ़ावा दिया। जिसमें इजरायल और कुछ अरब देशों के बीच संबंधों को सामान्य किया गया। उन्होंने फिलिस्तीनी नेतृत्व पर दबाव बनाया और अमेरिका की पारंपरिक तटस्थता को छोड़कर इजरायल के पक्ष में स्पष्ट रूप से खड़े हुए। ट्रंप प्रशासन ने गाजा और वेस्ट बैंक के फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की सहायता (UNRWA) में कटौती कर दी थी।
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डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति हमेशा ‘अमेरिका फर्स्ट’ (America First) के सिद्धांत पर आधारित रही है। लेकिन इजरायल के प्रति उनका विशेष झुकाव इस क्षेत्र की राजनीति पर गहरा असर डाल सकता है। यदि वे 2024 में फिर से राष्ट्रपति बनते हैं। तो गाजा के प्रति उनकी नीतियों में और अधिक कठोरता देखने को मिल सकती है।
ट्रंप और इजरायल का गठजोड़
ट्रंप के राष्ट्रपति रहते हुए अमेरिका और इजरायल के बीच संबंध काफी मजबूत हुए। उनके कार्यकाल के दौरान कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए गए।
यरुशलम को इजरायल की राजधानी कहा जाता है।
2017 में, ट्रंप ने यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता दी और अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से यरुशलम स्थानांतरित कर दिया। इस निर्णय ने फिलिस्तीनी नेताओं और मुस्लिम देशों में भारी नाराजगी उत्पन्न की।
क्या अमेरिका गाजा में सीधे हस्तक्षेप करेगा?
फिलहाल अमेरिका गाजा में सीधे सैन्य हस्तक्षेप नहीं कर रहा है। लेकिन ट्रंप के सत्ता में आने से यह स्थिति बदल सकती है।
अमेरिका पहले ही इजरायल को हथियार और सैन्य सहायता प्रदान कर रहा है।
अगर ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बने। तो वे इजरायल को और अधिक सैन्य समर्थन दे सकते हैं।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन इजरायल को गाजा में एक स्थायी सैन्य अभियान चलाने की अनुमति दे सकता है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और प्रभाव
यदि ट्रंप गाजा के खिलाफ कठोर नीति अपनाते हैं। तो इसके कई प्रभाव हो सकते हैं।
मुस्लिम देशों की नाराजगी
ट्रंप के कदमों से कई मुस्लिम देश नाराज हो सकते हैं। जिससे अमेरिका और इन देशों के संबंध और खराब हो सकते हैं। विशेष रूप से ईरान, तुर्की और पाकिस्तान जैसे देश इसका कड़ा विरोध कर सकते हैं।
फिलिस्तीनी संघर्ष और भड़क सकता है
अगर गाजा पर इजरायल को खुली छूट मिलती है। तो इससे फिलिस्तीनियों में और अधिक गुस्सा भड़क सकता है। इससे हमास और अन्य संगठनों द्वारा और अधिक हमले हो सकते हैं। जिससे पूरे क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ सकती है।
पश्चिमी देशों की मिश्रित प्रतिक्रिया
अमेरिका के यूरोपीय सहयोगी (जैसे फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन) ट्रंप की नीति का पूरी तरह से समर्थन नहीं कर सकते हैं। अगर गाजा पर इजरायल का कब्जा होता है। तो इससे पश्चिमी देशों में मतभेद पैदा हो सकते हैं।
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने की स्थिति में, गाजा के प्रति उनकी नीतियां केवल इस छोटे से क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेंगी। बल्कि यह व्यापक मध्य पूर्व नीति से भी जुड़ी होंगी। ट्रंप प्रशासन की प्राथमिकताएं संभवत हैं।
ट्रंप पहले ही इजरायल को उन्नत हथियार, मिसाइल डिफेंस सिस्टम (Iron Dome) और आर्थिक सहायता प्रदान कर चुके हैं। यदि वे 2024 में फिर से राष्ट्रपति बनते हैं। तो वे इजरायल को और अधिक हथियार देने का निर्णय ले सकते हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन इजरायल को गाजा में लंबे समय तक सैन्य नियंत्रण बनाए रखने का अप्रत्यक्ष समर्थन कर सकता है।
जनसंख्या घनत्व: गाजा दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले इलाकों में से एक है।
हमास का प्रतिरोध: हमास और अन्य गुटों के पास अभी भी हथियार और सुरंगों का नेटवर्क है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव: संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और मुस्लिम देश इस कदम का विरोध कर सकते हैं।
इजरायली नागरिकों की सुरक्षा: गाजा में कब्जे के बाद इजरायली सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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